उत्तराखंड को राजनैतिक, सामाजिक सुर्खियों में आज कल एक अलग चर्चा दिख रही है जिसके केंद्र में हैं प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता हर्षित नौटियाल। गौरतलब है कि हर्षित नौटियाल उत्तराखंड से जुड़े सामाजिक और राजनैतिक मुद्दों में बड़ी ही प्रखरता से पक्ष रखते है, जिस कारण युवाओं के साथ साथ पहाड़ के सभी वर्गों में उनका
उत्तराखंड को राजनैतिक, सामाजिक सुर्खियों में आज कल एक अलग चर्चा दिख रही है जिसके केंद्र में हैं प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता हर्षित नौटियाल। गौरतलब है कि हर्षित नौटियाल उत्तराखंड से जुड़े सामाजिक और राजनैतिक मुद्दों में बड़ी ही प्रखरता से पक्ष रखते है, जिस कारण युवाओं के साथ साथ पहाड़ के सभी वर्गों में उनका खासा प्रभाव रहता है।
पिछले कुछ दिनों से हर्षित नौटियाल सुर्खियों में तब फिर आने लग गए हैं जब से उन्होंने उत्तराखंड के समस्त पहाड़ी क्षेत्र को ट्राइबल क्षेत्र घोषित करने की मांग उठाई है। उनका कहना है कि उत्तराखंड की मांग ही एक अलग सांस्कृतिक विरासत संरक्षण के आधार पर हुई थी। जो आधी अधूरी मांग के साथ पूरी हुई किंतु आज भी स्थिति नही सुधारी जिसका मुख्य कारण है कि पहाड़ी क्षेत्र की संस्कृति को बाकी सबसे मिलाने को पुरजोर कोशिश को गई जिसका खामियाजा पहाड़ और पहाड़ वासियों दोनो को आज भी चुकानी पड़ रही है।
हर्षित नौटियाल ने कहा कि लूकुर कमेटी (1965) की रिपोर्ट के आधार पर पहाड़ी समुदाय ठीक उसी प्रकार ट्राइबल क्षेत्र का हकदार है जैसे कि देश के अन्य ट्राइबल क्षेत्र हैं। उन्होंने कहा कि पहाड़ संकृति के आधार जैसे, जागर, मंगल गान, मन्नाण, देवपुजन जैसी रिवाज आज अपनी आखिरी सांस ले रहे है। यदि इन्हे नही बचाया गया तो पहाड़ को संस्कृति के साथ-साथ पहाड़ वासियों का अस्तित्व भी संकट में आ जाएगा।बहरहाल जो भी हो लेकिन गौर करने वाली बात है कि इस मांग से उत्तराखंड की राजनैतिक सरगर्मी और तेज होने वाली है। उत्तराखंड का आम जन भी फिलहाल इस मांग पर अभी तक सहमत नजर आ रहा है।
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