हरीश रावत की किताब में उत्तराखंडियत को लेकर किशोर और हरदा में चली जुबानी जंग

हरीश रावत की किताब में उत्तराखंडियत को लेकर किशोर और हरदा में चली जुबानी जंग

अपने बयानों और उत्तराखंडियत की बात को लेकर सोशल मीडिया और उत्तराखंड में चर्चा में रहने वाले कांग्रेस के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत एकबार फिर चर्चा में बनें हुए हैं. इस बार चर्चा का विषय उनकी किताब “मेरा जीवन लक्ष्य उत्तराखंडियत” को लेकर है.दरअसल ये किताब हरीश रावत ने उत्तराखंडियत को लेकर लिखी है.

अपने बयानों और उत्तराखंडियत की बात को लेकर सोशल मीडिया और उत्तराखंड में चर्चा में रहने वाले कांग्रेस के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत एकबार फिर चर्चा में बनें हुए हैं. इस बार चर्चा का विषय उनकी किताब “मेरा जीवन लक्ष्य उत्तराखंडियत” को लेकर है.दरअसल ये किताब हरीश रावत ने उत्तराखंडियत को लेकर लिखी है. इस किताब के जरिए हरीश रावत ने उन तमाम चीजों को लेखनी के माध्यम से दर्शाने की कोशिश की है जो उत्तराखंड में घटित हुई हैं. चाहे वह राजनीति की घटनाएं हों या फिर राजनीति से हटकर हों, लेकिन हरीश रावत की इस किताब के उद्घाटन से पहले सियासत गरमाने लगी है.

आपको बता दें 2024 में होने वाले लोकसभा के चुनाव में हरीश रावत की महत्वपूर्ण भूमिका है. पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत उत्तराखंड की सियासत का एक बड़ा चेहरा हैं. कांग्रेस की पूरी राजनीति हरदा के इर्द-गिर्द ही घूमती है.यही वजह है कि हरीश रावत हमेशा सुर्खियों में बने रहते हैं. लेकिन किताब के उद्घाटन से पहले ही सियासत भी होने लगी है.

किशोर उपाध्याय, सीएम धामी का हरदा पर तंज
पहले कांग्रेस में रहे किशोर उपाध्याय ने हरीश रावत की इस किताब को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं. उन्होने हरदा की किताब पर तंज कसा है. उन्होने कहा कि उत्तराखंडियत शब्द किशोर उपाध्याय की देन है.जिसके बाद हरदा ने किशोर उपाध्याय पर तंज कसते हुए कहा कि हम तो आज भी वहीं बने हैं, जहां पहले हुआ करते थे, लेकिन जिन्होंने सवाल खड़े किए हैं, वे अब सिर्फ प्रायश्चित कर रहे हैं.इसके साथ ही प्रदेश के सीएम धामी ने भी हरदा पर तंज कसते हुए कहा कि हरीश रावत अब जिस उत्तराखंडियत की बात कर रहे हैं, उस उत्तराखंडियत को प्रदेश की जनता ने चुनावों के दौरान देख लिया है और उसका जबाव भी हरीश रावत को चुनाव में मिल चुका है.

बहराल हरीश रावत की किताब “मेरा जीवन लक्ष्य उत्तराखंडियत” का अभी उद्घाटन भी नहीं हुआ है और इस पर चर्चाओ का शोर शुरू हो गया है.हरीश रावत इस किताब के जरिए अपनी राजनीति को और मजबूत करना चाहते हैं और 2024 में चुनाव लड़ना चाहते हैं और पार्टी को मजबूती के साथ खड़ा करना चाहते हैं.

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1 Comment

  • Bhagwan singh
    April 28, 2023, 2:31 pm

    क्या हरीश रावत जी का मुस्लिम ््
    एजेंडा ही चुनावी मुद्दा होगा ? हिन्दुओं का बिरीध कर मुस्लिम का तुष्टिकरण करके कांग्रेस की नैया फिर डुबाने का इरादा है ?

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