Modi’s foreign policy failed in SCO पीएम नरेन्द्र मोदी की अगुवाई में एससीओ के शीर्ष नेताओं की बैठक में भारत ने चीन की तरफ से दूसरे देशों को सड़क, रेल, समुद्र मार्ग से जोड़ने के लिए शुरू की गई बेल्ट एंड रोड इनिसिटिव (बीआरआइ) का समर्थन करने से साफ मना कर दिया। शीर्ष नेताओं की
Modi’s foreign policy failed in SCO
पीएम नरेन्द्र मोदी की अगुवाई में एससीओ के शीर्ष नेताओं की बैठक में भारत ने चीन की तरफ से दूसरे देशों को सड़क, रेल, समुद्र मार्ग से जोड़ने के लिए शुरू की गई बेल्ट एंड रोड इनिसिटिव (बीआरआइ) का समर्थन करने से साफ मना कर दिया।
शीर्ष नेताओं की बैठक के बाद देर शाम को जब एससीओ ने संयुक्त घोषणा पत्र जारी किया तो उसमें बताया गया कि चीन की बीआरआइ कार्यक्रम का रूस, पाकिस्तान, काजिकस्तान, किर्गिजस्तान, उज्बेकिस्तान और ताजिकिस्तान ने समर्थन किया है। यानी आठ सदस्यीय इस संगठन में सिर्फ भारत ही ऐसा देश रहा जिसने बीआरआइ से अपने आपको अलग कर दिया है। भारत की अध्यक्षता में पहली एससीओ की बैठक हुई है।
इस रणनीति में भी चीन के प्रभुत्व वाले कई मुद्दे हैं जिसको लेकर भारत सहमत नहीं है। जहां तक बीआरआइ का सवाल है तो भारत चीन की कनेक्टिविटी परियोजनाओं का विरोध करने वाला सबसे पहला देश है। इस पर चीन की तरफ से आयोजित सबसे पहले सम्मेलन में सिर्फ भारत ही शामिल नहीं हुआ था.
भारत को मुख्य तौर पर बीआरआइ की तहत पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से हो कर बनाये जा रहे चीन-पाकिस्तान आर्थिक कारीडोर को लेकर आपत्ति है। कश्मीर का यह हिस्सा भारत का अभिभाज्य अंग है जिस पर पाकिस्तान ने अवैधानिक तरीके कब्जा कर रखा है।
संयुक्त घोषणा पत्र में कहा गया है कि, “चीन की बीआरआइ परियोजना का कजाख्स्तान, किर्गिजस्तान, पाकिस्तान, रूस, ताजिकिस्तान व उज्बेकिस्तान ने समर्थन किया है और साथ मिल कर इसे लागू करने की बात कही है।
यूरेशियन आर्थिक क्षेत्र और बीआरआइ को जोड़ने पर भी बात हुई है।” साफ है कि चीन की इस विशाल कनेक्टिविटी परियोजना का समर्थन भारत के अलावा दूसरे सभी एससीओ देश समर्थन कर रहे हैं।
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