देहरादून आए तो ”बूढ दादी” की रसोई में उत्तराखंडी फास्टफूड का लुफ्त उठाना ना भूले

देहरादून आए तो ”बूढ दादी” की रसोई में उत्तराखंडी फास्टफूड का लुफ्त उठाना ना भूले

पहाड़ के पारम्परिक व्यंजनो की खुशबू से महक रही है दीपिका डोभाल की बुढ दादी रसोई पहाड़ से हो रहे पलायन ने न केवल पहाड़ को खोखला कर दिया अपितु पलायन यहां की संस्कृति, तीज-त्यौहार और पारम्परिक व्यंजनों को भी लीन गया, क्योकि जब पहाड़ की गांव में लोग ही नहीं रहेंगे तो तीज-त्यौहार कौन मनायेगा

पहाड़ के पारम्परिक व्यंजनो की खुशबू से महक रही है दीपिका डोभाल की बुढ दादी रसोई

पहाड़ से हो रहे पलायन ने न केवल पहाड़ को खोखला कर दिया अपितु पलायन यहां की संस्कृति, तीज-त्यौहार और पारम्परिक व्यंजनों को भी लीन गया, क्योकि जब पहाड़ की गांव में लोग ही नहीं रहेंगे तो तीज-त्यौहार कौन मनायेगा ?? तो फिर सुने पड़े गांव में पारम्परिक व्यंजन भी किसके लिए बनाए जायेंगे ??

इन सब से इतर हमारे बीच कुछ लोग ऐसे भी हैं जो आज भी अपने उत्तराखंड के व्यंजनों को लोकप्रिय बनाने की दिशा में बड़ी शिद्दत और लगन से मेहनत कर रहे हैं.ऐसे ही एक शख्सियत है, मूल रूप से जनपद पौड़ी गढ़वाल निवासी और वर्तमान में देहरादून के शास्त्री नगर में बुढ़ दादी (ट्रेडिशनल हेल्दी फूड क्लाउड कीचन) की संचालिका दीपिका डोभाल.जो बूढ़ दादी के जरिए पिथौरागढ़ के मुनस्यारी से चमोली के नीति-माणा, उत्तरकाशी के हर्षिल, मुखबा जौनसार सहित पूरे पर्वतीय क्षेत्र के व्यंजनों को नई पहचान दिलाने का काम कर रही हैं.

बूढ़ दादी कीचन में उपलब्ध उत्तराखंड के पांरपरिक व्यंजन

दीपिका के बुढ़ दादी कीचन ना केवल आपको उत्तराखंड की पांपरिक और पौष्टिक व्यंजन मिलेंगे अपितु परोसे गए व्यंजनों की खुशबू और स्वाद आपको बार-बार बूढ़ दादी आने को मजबूर कर देगा.बूढ दादी कीचन में आपको ढ़िढका, असकली, द्दूड़ा-राबड़ी, घिंजा, सिड़कू, खोबड़े, बेड़ू रोटी, इन्ड्राई, बड़ील, लेमड़ा, बदलपुर की बिरंजी,लसपसी-खीर, कुकला, सूप, मुंडा फोन, “बारानाजा-खाजा”, कसार, ल्याटू उसके सहित की पांरपरिक व्यंजन मिलते हैं.

लोकल फोर वोकल को चरितार्थ करती बुढ़ दादी

दीपिका ने अपने पहाड़ के पांरपरिक व्यंजनों को नई पहचान देने और इसे रोजगार के साधन बनाने का अनुकरणीय कार्य किया है. दीपिका कहती है उसका प्रयास है कि उसकी बूढ़ दादी कीचन के बहाने ही सही लोग अपने पहाड़ के व्यंजनों के बारे में जान पायेंगे साथ ही नई पीढ़ी को कोदा-झंगोरा से बने व्यंजनों से अपने पहाड़ से एक भावनात्मक लगाव तो बना रहेगा. वो कहती हैं चाइनीज और फास्टफड़ के इस दौर में पहाड़ के पांरपरिक व्यंजनों के स्वाद को लोगों तक पहुंचने में भले ही ज्यादा समय लगेगा परन्तु उन्हे उम्मीद हो जरूर लोगों को उनको बनाये हुए व्यंजन पसंद आयेंगे.

अगर आप उत्तराखंड के पांपरिक व्यंजनों के स्वाद का लुफ्त उठाना चाहते हैं तो चले आईए दीपिका डोभाल के देहरादून के शास्त्री नगर में बुढ़ दादी (ट्रेडिशनल हेल्दी फूड क्लाउड कीचन) रसोई में.कोशिश कीजिए पहाड़ के पांरपरिक व्यंजनों की ये सौंधी खुशबू उत्तराखंड़ ही नहीं पूरे देश में अपनी एक अलग पहचान बनाये. आप सबके सहयोग से ही दीपिका डोभाल जैसी मातृशक्ति को प्रोत्साहन मिल सकेगा. तो एक बार जरूर पहुंचे दीपिका डोभाल की बूढ़ दादी रसोई……..

ग्राउंड जीरो से संजय चौहान की रिपोर्ट

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