दिल्ली के गांधी पीस फाउन्डेशन में आज उत्तराखण्ड एकता मंच की नेशनल एस्टिरिंग कमेटी की बैठक का आयोजन किया गया.जिसमें उत्तराखण्ड , दिल्ली, एनसीआर समेत चंडीगढ़ के विधानसभा के सैकड़ो कार्यकर्ता मौजूद रहे.इस बैठक में उत्तराखंड एकता मंच के संविधान को पारित किया गया.जिसमें उत्तराखंड, एनसीआर समेत चड़ीगढ़ के 17 लोकसभा क्षेत्रों के कॉर्डिनेटर में सुरक्षा और न्याय समीति, कला एवं संस्कृति समीति
दिल्ली के गांधी पीस फाउन्डेशन में आज उत्तराखण्ड एकता मंच की नेशनल एस्टिरिंग कमेटी की बैठक का आयोजन किया गया.जिसमें उत्तराखण्ड , दिल्ली, एनसीआर समेत चंडीगढ़ के विधानसभा के सैकड़ो कार्यकर्ता मौजूद रहे.इस बैठक में उत्तराखंड एकता मंच के संविधान को पारित किया गया.जिसमें उत्तराखंड, एनसीआर समेत चड़ीगढ़ के 17 लोकसभा क्षेत्रों के कॉर्डिनेटर में सुरक्षा और न्याय समीति, कला एवं संस्कृति समीति और मंच के प्रवक्ताओं के नाम की घोषणा की गई.संगठन के द्वारा कहा गया कि उत्तराखंड एकता मंच एक समाजिक और गैर राजनीतिक संगठन रहेगा. जो कि उत्तराखंड के मुद्दों को शासन प्रशासन के सामने उठायेगा.साथ ही सरकारों द्वारा लिए गए उनके गलत निर्णयों के खिलाफ आंदोलन भी करेगा, राज्य स्थापना दिवस पर उत्तराखंड एकता मंच समाज की मांगों को लेकर जनमानस के साथ उत्तराखंड दिवस मनायेगी.इसके साथ ही उत्तराखंड एकता मंच के द्वारा इसी साल गांव और महोल्ले स्तर पर संघठन बनाया जाएगा .
आजाद प्रेस से खास बातचीत में उत्तराखंड एकता मंच के कोर कमेटी सदस्य निशांत रौथाण ने कहा कि आज उत्तराखण्डी समाज अंकिता भंडारी और किरण नेगी के को लेकर बहुत दुखी और अक्रोशित है.समाज को मिलकर उत्तराखंड बेटियों को न्याय दिलाने के लिए आंदोलन करना होगा. इसके साथ ही उन्होने कहा कि उत्ताराखंड एकता मंच पूरी तरह से गैर राजनीतिक रहेगा.इसके साथ ही संगठन प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तौर पर किसी भी राजनीतिक पार्टी के लिए काम नहीं करेगा
उत्तराखंड एकता मंच की सुरक्षा एवं न्याय समिति के लता रावत ने कहा कि उत्तराखंड की बच्चियों पर हो रहे अत्याचारों के खिलाफ महिला शक्ति को आगे आकर समाज के लिए लड़ना होगा.उन्होने कहा कि संगठित समाज ही एक नये सशक्त समाज का निर्माण करता है.आपको बता दें उत्तराखंड को बने हुए 22 साल से ज्यादा का समय हो गया है परन्तु पहाड़ की दशा और दिशा कमोबेश आज भी वैसे ही है.उत्तराखंड का जन्म ही आंदोलनों से हुआ था, जिसमें संर्घष और बलिदानों की बदौलत उत्तराखंड राज्य की उत्पत्ति हुई थी. उत्तराखंड बनने के बाद यहां के हुकमरानों की अनदेखी के चलते पहाड़ और पहाड़ी आज भी अपनी दुर्दशा के लिए रो रहा है. हुकमरानों को नींद से जगाने के दिल्ली में उत्तराखंड एकता मंच की स्थापना हुई थी.
उत्तराखंड एकता मंच के 20 नवम्बर 2016 को रामलीला मैदान में हुए आंदोलन की बदौलत आज दिल्ली की आम आदमी पार्टी की सरकार के द्वारा गढ़़वाली, कुमांऊनी, जौनसारी भाषा की आकदमी की स्थापनी हुई. इसके साथ ही दिल्ली में उत्तरैणी, मकरैणी त्यौहार के लिए दिल्ली सरकार द्वारा स्पेशल बजट दिया जाता है. उत्तराखंड एकता मंच का एकमात्र उद्देश्य उत्तराखंड के लोगों के संगठित करना है. जिससे कि उत्तराखंड के लोग अपनी समाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक एकता को बढ़ा सकें.
अमित गुंसाई
देहरादून
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