दंगों से नहीं यहां बाघ के आंतक से 25 गांवों में लगा कर्फ्यू और धारा 144

दंगों से नहीं यहां बाघ के आंतक से 25 गांवों में लगा कर्फ्यू और धारा 144

उत्तराखंड के पौड़ी जिले में इन दिनों बाघ ने आंतक मचा रखा है. जिसके चलते पौड़ी जिले के 25 गांवों में कर्फ्यू और धारा 144 को लागू कर दिया गया है.पौड़ी जिले रिखणीखाल ब्लॉक के गांव मेलधार के डल्ला गांव (लड्वासैंण) में 13 अप्रैल की शाम खेतों में काम कर बीरेंद्र सिंह को बाघ ने मार डाला. बीरेंद्र सिंह उम्र करीब 73 साल की थी.

उत्तराखंड के पौड़ी जिले में इन दिनों बाघ ने आंतक मचा रखा है. जिसके चलते पौड़ी जिले के 25 गांवों में कर्फ्यू और धारा 144 को लागू कर दिया गया है.पौड़ी जिले रिखणीखाल ब्लॉक के गांव मेलधार के डल्ला गांव (लड्वासैंण) में 13 अप्रैल की शाम खेतों में काम कर बीरेंद्र सिंह को बाघ ने मार डाला. बीरेंद्र सिंह उम्र करीब 73 साल की थी. इस घटना के बाद गांव के आसपास दो बाघों की मूवमेंट बनी हुई है.बाघ को पकड़ने के लिए वन विभाग की टीम ने प्रभावित क्षेत्र में पिंजरा लगा दिया गया है. साथ ही बाघ को बेहोश करने के लिए टीम तैनात कर दी गई है.जिला प्रशासन ने लोगों को क्षेत्र में दिन के समय भी अकेले आवाजाही न करने की हिदायत जारी की है.पौड़ी के डीएम डॉ. आशीष चौहान ने भी बाघ प्रभावित डल्ला गांव और सिमली तल्ली पहुंचकर ग्रामीणों, अधिकारियों से वार्ता की और हालात का जायजा लिया.आपको बता दें वन विभाग के ड्रोन सर्वे में भी इस घटना की पुष्टि हुई है.

इसके बाद करीब 25 किमी दूर स्थित नैनीडांडा के सिमली तल्ली के भैड़गांव पट्टी बूंगी में 15 अप्रैल की रात सेवानिवृत्त शिक्षक रणवीर सिंह नेगी (75) को बाघ ने मार डाला था.वन विभाग ने क्षेत्र में बड़ी संख्या में वन कर्मचारियों को तैनात कर दिया है.ड्रोन कैमरे से भी पूरे क्षेत्र पर नजर रखी जा रही है.गढ़वाल वन प्रभाग के डीएफओ स्वप्निल अनिरुद्ध ने क्षेत्रवासियों से सतर्कता बरतने और अनावश्यक बाहर न निकलने की अपील की है.मेलधार के प्रधान खुशेंद्र सिंह ने बताया कि दो बाघ गांव के आसपास दिखाई दिए हैं. सोमवार को दिन में बाघ ने एक सांड पर हमले का प्रयास किया.जबकि एक बाघ गांव के पास ही नजर आया है. लैंसडौन विधानसभा में हुए इस घटनाक्रम के बाद अब स्थानीय प्रतिनिधि और लोगों के द्वारा बाघ को नरभक्षी घोषित कर गोली मारने की मांग की जा रही है.

बहराल अब देखना होगा वन विभाग के द्वारा कब इन नरभक्षी बाघों को पकड़ा जायेगा. उत्तराखंड में जंगली जानवरों के घमलों में हर साल कई लोगों की जान चली जाती है. जिसकी वजह से पहाड़ से लोगों का पलायन भी हो रहा है. वन विभाग के द्वार दावे तो बहुत बड़े बड़े किए जाते हैं पर पहाड़ की जनता हमेशा ही जंगली जानवरों के हमलों का शिकार होती आई है.

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